चित्र आधारित सृजन
लाल रंग की चूनरी, हाथों चूड़ी लाल।
बेटी है ये देश की, करती ऊॅंचा भाल।।
लेपटॉप पर पढ़ रही, मिले सुअवसर आज ।
रक्षा करके देश की, पहनूॅं सर पर ताज।।
वीर बहादुर की सुता, बैठी है खलिहान।
राह देखती है वहीं, आएं पिता जवान।।
रस:वीर
स्थाई भाव: उत्साह
आलंबन
आश्रय: रचनाकार
विषय: बेटी
संचारी भाव: गर्व, उत्सुकता
उद्दीपन: देश के लिए कुछ करने की चाह।
अनुभाव: राह देखना, पढ़ना,
मनीषा अग्रवाल
इंदौर मध्यप्रदेश